कुमाऊं विश्वविद्यालय ने स्नातक कार्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम

समयबद्ध, पारदर्शी एवं सुसंगत प्रक्रिया के माध्यम से घोषित कर दिए

नैनीताल। सरोवर नगरी में कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल ने एक और शैक्षणिक उपलबधि हासिल करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-२०२०) के अंतर्गत संचालित स्नातक कार्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम समयबद्ध, पारदर्शी एवं सुसंगत प्रक्रिया के माध्यम से घोषित कर दिए हैं। यह महत्वपूर्ण कार्य कुमाऊं विवि के ऊर्जावान कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत के दूरदर्शी और सशक्त नेतृत्व में संभव हुआ है।
बता दें कि कुलपति प्रो. रावत के निर्देशन में विश्वविद्यालय ने न केवल समय पर परीक्षाएँ आयोजित कीं बल्कि अत्यंत कम अवधि में मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा कर छात्रों को समय से पहले ही परिणाम प्रदान किए। यह पहल न केवल विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है बल्कि छात्रों के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। फिलहाल कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल राज्य का पहला विश्वविद्यालय बन गया है जिसने एनईपी-२०२० के अनुरूप अंतिम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम घोषित किए हैं। इससे विश्वविद्यालय ने प्रदेश में एक मिसाल कायम की है। इस पहल से छात्रों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों व अन्य उच्च शिक्षा कार्यक्रमों में समय पर प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त होगा।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत संचालित स्नातक (यूजी) छठे सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम सफलतापूर्वक घोषित कर दिए हैं। इस वर्ष परिणामों की समयबद्ध घोषणा विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई गई नई कार्यप्रणालियों और नवाचारों की सफलता का परिणाम है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा मूल्यांकन प्रक्रिया को पारदर्शी तथा तीव्र और विश्वसनीय बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए जिनके फ लस्वरूप परिणाम समय पर जारी किए जा सके।
कुविवि के कुलपति प्रो. रावत कहा कि इस बार पहली बार ओएमआर आधारित अवार्ड लिस्टों को लागू किया गया जिससे मूल्यांकन के बाद अंकों की प्रविष्टि प्रक्रिया काफ ी तेज और त्रुटिरहित हो पाई। इससे न केवल समय की बचत हुई बल्कि परिणामों की गुणवत्ता और सटीकता में भी अभूतपूर्व सुधार आया। मूल्यांकन कार्य की प्रभावी निगरानी के लिए विशेष पर्यवेक्षकों (ओबजरर्बर) की टीम तैनात की गईए जिसने एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) के तहत कार्यों की निगरानी सुनिश्चित की। इससे मूल्यांकन की गुणवत्ता पर नियंत्रण बना रहा और अनुशासनात्मक ढंग से कार्य पूरे हुए। मूल्यांकन केन्द्रों पर ही उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैनिंग की व्यवस्था की गई जिससे डाटा की सुरक्षा और विश्वसनीयता में भारी सुधार आया। यह व्यवस्था डाटा गुम होने या छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करती है।प्रविष्ट अंकों की पुनर्गणना और स्क्रीनिंग का कार्य एक विस्तारित टैबुलेटर टीम द्वारा संपन्न किया गया। इस टीम ने डाटा मिलान और त्रुटियों को पहचानने में विशेष भूमिका निभाई जिससे परिणामों की प्रामाणिकता बनी रही।पूरे मूल्यांकन कार्य की निगरानी स्वयं उनके (कुलपति प्रो. दिवान सिंह रावत) नेतृत्व में की गई।
कुविवि के कुलसचिव तथा परीक्षा नियंत्रक एवं परीक्षा शाखा की टीम ने मिलकर प्रतिदिन कार्य प्रगति की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए जिससे समस्त प्रक्रिया गतिशील बनी रही। मूल्यांकन केन्द्रों के प्रभारी अधिकारीगण एवं उनकी टीमों ने विषम परिस्थितियों में भी लगनपूर्वक कार्य किया। उनके विशेष प्रयासों के कारण सभी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन समय पर संपन्न हो सका।